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रहा नहीं दिल मेरे पास

कोई कहे या रहे अनकही कोई माने या रहे नासमझ कहती हूँ मैं सच्ची बात रहा नहीं अब मेरे पास मेरा समझा अपना दिल! दिल था मेरा कांच का टुकड़ा चमकता जैसा साँच का...

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