हमेशा हमारा लगता है कोई ???
हमेशा हमारा लगता है कोई वो तो है बस मेरा अपना | मुस्कराहट में मुरछाया काली जैसे नींदों में खुली परछाई जैसे || कभी इंतज़ार कर लेता मुझे वो कभी बेकरार करवट लेता मुझे...
हमेशा हमारा लगता है कोई वो तो है बस मेरा अपना | मुस्कराहट में मुरछाया काली जैसे नींदों में खुली परछाई जैसे || कभी इंतज़ार कर लेता मुझे वो कभी बेकरार करवट लेता मुझे...
“लगने लगा प्यार अब उस हत तक गहरा कि चाहने लगी मैं उस हत तक वो ग़म कि आसू भी जो मिले तुमसे सोच में उल्चे वो मोती भी शायद नसीब न हो...
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